Happy or Sad
एक छोटा-सा एक्साम्पल दू ???
हम में से कही सारे लोग हे जो टीवी सीरियल या तो मूवीस देखने के शौखिन होते हे और उन सबमे चाहे कितने भी प्रोब्लेम्स आये लेकिन उनका अंत हमेशा हैप्पी ही होता हे शायद यह एक सबसे बड़ा सबक हे की चाहे ज़िंदगी में कही सारी उलझने आये लेकिन ऐसी कोय उल्जन नहीं जो हमसे सुलझ ना पाए । राइट?
और एक बात सोचो की अगर हम किसी भी चीज को लेके उदास रहेंगे तो क्या हमारे प्रॉब्लम का सॉलूशन निकल आएगा? नहीं बिलकुल नहीं बल्कि उसकी वज़ह से और प्रोब्लेम्स क्रिएट हो जायेंगे।
अगर हम किसी एक वज़ह से परेशान हे तो हमारा किसी और काम में मन ही नहीं लगेगा और अगर हम दूसरे काम करेंगे तो वो काम भी बिगड़ सकता हे।
और हम जब उदास होते हे तब हम किसी के साथ ठीक से बात भी नहीं कर पाते क्योकि वह वक़्त ही कुछ ऐसा होता हे की हमारा मन किसी भी चीज में नहीं लगता और ना ही किसी के साथ बात करना अच्छा लगता हे और बाद में वह इंसान भी दुखी हो जाता हे क्योकि हमारी ज़िंदगी में ऐसे कितने सारे लोग हे जिनकी ख़ुशी की वज़ह कही न कही हमसे जुडी होती हे EXAMPLE के तोर पर हमारा बच्चा उस छोटी-सी जान को ये थोड़ी ना पता होता हे की आज मेरी मम्मा या पापा उदास हे वह तो बस अपनी ही दुनिया में मशगूल रहता हे और अपनी नादानियत में हमारे साथ खेलना चाहता हे और उसे भी हम हमारे मूड के हिसाब से जवाब देते हे और बाद में कही बार ऐसा भी होता हे की वह नन्ही-सी जान हमारे करीब आने से भी डरता हे। कभी सोचा हे उस वक़्त उसे केसा महसूस होता होगा? और ये सिर्फ़ बच्चे की बात नहीं हे हम बड़े भी ऐसी किसी परिस्थिति में उलझ जाते हे और बाद में उसकी असर हमारे रिलेशन पर भी पडती हे फिर चाहे वह पत्ति पत्नी हो भाई बहन हो या दो बेस्ट फ्रेंड्स।
सो माय डिअर फ्रेंड्स चाहे कितनी भी बड़ी परेशानी क्यों ना हो लेकिन एक बात हमेशा याद रखना की कोय भी ऐसा प्रॉब्लम नहीं जिसका कोय सॉलूशन ना हौ तो किसी भी बात से इतना ज़्यादा उदास होने से पहले एक बार उस प्रॉब्लम का सॉलूशन निकाल ने की कोशिश ज़रूर करना। और एक बार आप के अपनों के बारे में ज़रूर सोचना की आपकी ये उदासी उनको कितना इफ्फेक्ट करेगी???
मेरा हमेशा से ये मान ना हे की हमे ज़िंदगी बस एक ही बार मिलती हे तो उसे जी भर के जीना चाहिए किस को पता हमारी ज़िन्दगी की कहानी के अगले पन्ने में क्या लिखा हे। पता हे क्या अगर लाइफ बिना उप एंड डाउन के चलती जाएगी तो उसमे कोय मज़ा नहीं हे अगर इसमें कोय दुःख नहीं आएगा तो हमे हमारी ख़ुशी का कभी अहसास ही नहीं होग।
और खुश रहने की लिए भी ज़्यादा महेनत नहीं करनी पडती सिर्फ़ ज़रूरत होती हे तो बस खुश होने की छोटी-छोटी वज़ह ढूँढने की जैसे कि आप छोटे बच्चे के साथ खेल लो या तो फिर अपने लिए थोड़ा-सा वक़्त निकाल के वह चीज करो जिसमे आपको मज़ा आता हे फिर वह खाना बनाना हौ सकता हे, म्यूजिक सुनना हौ सकता हे बुक्स पढ़ना हौ सकता हे या तो सिर्फ़ आपके ख़ुद के लिए कॉफी या तो चाय बनाना भी हौ सकता हे। क्योकि कोय भी चीज परमानेंट नहीं होती अगर आप सोचते हे की में कही हिल स्टेशन पें घूमने जाऊ तो ही खुश हौ सकता हु तो ये आपकी ख़ुशी नहीं सिर्फ़ और सिर्फ़ आपका वहम हे क्योकि घूम के आने के बाद आप कितने दिनों तक उसकी ख़ुशी मना पाएंगे ज़्यादा से ज़्यादा एक हफ्ता या तो 10 दिन बाद में फिर वही रूटीन वाला मूड। सो इसी लिए कहती हु माय डिअर फ्रेंड्स छोटी-छोटी चीजों में ख़ुशी ढूँढ ने की कोशिश करो अगर ख़ुशी का कोय बडा कारन ढूँढने जाएंगे ना तो आपकी रूटीन लाइफ में से ये छोटी-छोटी ख़ुशी कब गायब हौ जाएँगी आपको पत्ता भी नहीं चलेगा.
सबसे इंट्रेस्टिंग बात पता हे क्या हे? कभी-कभी हम बिना किसी कारन के ही सैड वाला मूड बनाके घुमते रहते है actually उसके पीछे का कोय प्रॉपर reason भी नहीं होता। अगर हमारा मूड अच्छा हे तो हम थोड़ी देर के लिए ही खुस रहेंगे लेकिन अगर हमारा मूड ख़राब हे तो हम पूरा दिन मुँह फुलाकर बैठे रहेंगे और हमारी ये आदत हमारे सेहद पर भी उतना ही ख़राब असर करती हे ये बात खास याद रखना।और कभी भी कुछ समज में ना आये ना तो छोटे बच्चे को देख लेना वह खेलते-खेलते कितनी बार गिरे गा उसे लगेगा वह रोये गा भी लेकिन सिर्फ़ और सिर्फ़ 1 या 2 मिनिट के लिए बाद में फिर वह अपने ग़म भूल के खेलने में मशगूल हो जायेगा। तो अगर एक छोटा-सा बच्चा इतनी जल्दी अपने ग़म भूल सकता हे तो हम तो बडे हे और उससे कही ज़्यादा समझदार भी तो हम क्यों इतनी जल्दी अपने ग़म भुला नहीं सकते?
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