बचपन की बारिश: यादें और बूँदें

बारिश आई... बारिश आई... 
अरे... अरे... ये तो चली भी गयी लेकिन मेरे मन में कूछ खट खट्टा के गयी।आज वही खटखटाहट यहाँ आप को भी बताना चाहती हु।

क्या रोमेंटिक मौसम है बारिश...

लेकिन लेकिन लेकिन ...

इस बारे में हम बाद में बात करेंगे, अभी मैं यहाँ उनके बारे में बात करना चाहती हूँ जो इस खूबसूरत मौसम  के  मज़े नहीं ले पा रहे हैं... या शायद हम उन्हें  इसके मज़े लेने नहीं दे रहे हैं।
में बात कर रही हूँ बच्चो की।
हम लोग क्या मजे किया करते थे, क्या खूबसूरत दिन हुवा करते थे वो...क्या बादशाहो वाली फीलिंग्स थी वह भी।
उस बारिश के पानी में हमारे भी जहाज़ ⛵तैरा करते थे हा कभी-कभी डूब भी जाते थे🤣। और शायद एक भी दिन ऐसा नहीं होगा जब हम उस बारिश के पानी में नहाये न हो। और जगह-जगह पर बारिश के पानी से भरने वाले गड्ढो में कूदे न हो।
आ गए न बचपन के दिन याद?
पर आज कल के बच्चो को कहा ये सब करने को मिलता है।
आज कल की mom' s Ufffff... 
don' t worry उसमे में भी सामील हु।😊

हेय बेटा don' t do that...
तुम गंदे हो जाओगे...
कीचड़ में मत खेलो ...
बीमार पड़ जाओगे ...
देखो वहा पानी हे ध्यान से चलना ...
वग़ैरा वग़ैरा ...

अच्छा हम तो नहीं पड़े कभी बीमार!
चलो एक मस्त बात बताती हु।
मेरे बेटे की स्कूल में  "mud day celebration" होता हे।
जी हा। स्पेशल कीचड़ में खेल ने के लिए वहा पानी से भरा बड़ा कीचड़ का गढ़ा बनाया जाता हे।
हैना कमाल की बात?
क्यूंकि हम अपने बच्चों को गंदा नहीं करना चाहते इस लिए स्कूल वालों ने स्पेशल दिन रख दिया उन्हें गंदा करने के लिये...
Ohh... ये जोक्स था ...😄
लेकिन क्या आप को नहीं लगता की ये सब ज़रूरी हे?

Mommys pls-pls pls खेलने दो अपने बच्चो को बारिश के पानी में यहि वह दिन हे जब वह बारिश में बिना किसी जिजक के खेल सकेंगे। यही तो वह दिन हे जहा किसी भी चीज की परवाह किये बिना वह एन्जॉय कर सकेंगे।
उसमे बच्चे बीमार तो नहीं होंगे लेकिन बारिश में नहाने के बाद उनके चेहरे पर जो ख़ुशी दिखेगी वह स्विमिंग पूल के क्लोरीन वाले पानी में पूरा दिन नहाने के बाद भी नहीं मिलेगी।
पता हे बचपन हमारी लाइफ का एक ऐसा दौर हे जहा हम बीना किसी भी चीज की परवाह किये कुछ भी कर सकते हे लेकिन उसका एक माइनस पॉइंट भी हे की बच्चो को अपनी मर्जी का सब कुछ हम लोग करने नहीं देते।
पता है बच्चो की लाइफ कैसी होती हे? बचपन में बड़े उन्हें उनकी मर्जी का करने नहीं देते और बड़े होने के बाद वह ख़ुद कुछ करना नहीं चाहते।
सोचते हे की लोग क्या कहेंगे?
आप ही सोचो क्या हम सब अब बारिश आने पर गड्ढोमें कूद सकेंगे?
ये उनके वह खूबसूरत दिन हे जो कभी वापिस लोट के नहीं आने वाले।
बात बहोत ही छोटी-सी हे लेकिन समझने वाली हे क्या हम अपने बच्चो को खुल के खेलने दे रहे हे?
नहीं।
फिर हम ही complaint करते हे की हमारे बच्चे पूरे दिन घर में विडिओ गेम्स खेलते रहते हे या मोबाइल या टीवी देखते रहते हे बहार खेल ने ही नहीं जाते ।
So giv them permission to enjoy their life. उन्हें भी कुछ यादें संजोने दो जिसे वह याद करके अपने चहेरे पर एक प्यारी-सी मुस्कान ला सके ।

शायद इसी लिए सुदर्शन फाकिर जी ने लिखा हे की...

"ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो 
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी 
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
 वह काग़ज़ कि कश्ती, वह बारिश का पानी"।

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
Very nice👏
बेनामी ने कहा…
I really enjoyed reading the blog, it refreshed my memories.
बेनामी ने कहा…
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Yesha ने कहा…
Felt nostalgic you bring back childhood memories
बेनामी ने कहा…
Vahh...
Darshan Raval ने कहा…
Very great writing... It brings us back to the old childhood days
बेनामी ने कहा…
Bachpan ki yad dila di....very nice dear
बेनामी ने कहा…
Very nice
बेनामी ने कहा…
Bachpan ki yaad aa gai ...very nice

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